बज्जिका पत्रकारितामे अवसरके जरुरत हए :- प्रेमचन्द्र झा

प्रेमचन्द्र झा रौतहटेली पत्रकारितामे डेढ दशकसे सक्रिय प्रेमचन्द्र झाके जन्म रौतहटके हथियाही गाविस वार्ड नम्बर एकमे विक्रम सम्वत २०२८ सालके फगुआके दिन भेल हए । रौतहटेली पत्रकारितामे डेढ दशकसे सक्रिय प्रेमचन्द्र झाके जन्म रौतहटके हथियाही गाविस वार्ड नम्बर एकमे विक्रम सम्वत २०२८ सालके फगुआके दिन भेल हए । हुनकर पिताजीके नाम जुगलकिशोर झा आ माताजीके नाम महेश्वरी देवी हए । एगो नितान्त बज्जिका ग्रामसे पत्रकारितामे जिलास्तरके सबसे लमहर पद नेपाल पत्रकार महासंघ रौतहट शाखाके अध्यक्षतक बनल झा अनेक संचारमाध्यममे काम कएलेछत । लेकिन रौतहटके सदरमुकाम गौरमे संचालनमे आएल रौतहट एफएमके मार्फत बज्जिका भाषामे समाचार प्रसारण करेबाला जिम्मेवारी लेके काम करेबाला हुन पहिल पत्रकार छथिन् । अइसे भी कहल जासकइअ� रेडियोसे बज्जिका भाषामे समाचारके पहिल सम्पादक छथिन् हुन । हुनकासे पत्रकारिता आ साहित्यके सन्दर्भमे रहके ही बातचित कएले छी । प्रस्तुत हए ओही बातचितके मुख्य अंश ः

बज्जिकाके पहिल समाचार सम्पादनके अनुभूति केहन हए ?

बज्जिका जे हमर मातृभाषा है ओकर सम्पादन करेके जे हमरा अवसर मिलल ई काम शुरुमे बहुत कठिन आ चुनौती पूर्ण रहल ।

कठिनाई एइे बातके भेल जे समाचार लिखेकेके हमरा अनुभव रहे माकिर रौतहट एफएमसे पहिले कोनो संचार माध्यममे बेसी दिन रहेके सम्पादन करेके अनुभव नभेलासे भेल रहे । जब समाचार सम्पादन करते हप्ता १५ दिन नविते एक वडका लडाइ जितलीसे अनुभव भेल रहे । चुनौतीके जहाँतक बात कहदू हमरा साथे काम करेबाला सहयोगी जे लोग रहे से समाचार वाचनके अलावा दोसर काम ऊ लोगसे नहोय ।

समाचारके प्रस्तुतिसे लेकरके प्रवाह कएल जाएबाला सन्देश आ ओकर परेबाला असरके सिधा प्रहार हमरा समाचार कक्षतक आवे ।

जब हमर सहयोगी लोग समाचार पढे लागे त ओही रेडियोके (रौतहट एफएम) मनोरंजन प्राविधिक आ प्रशासन सेक्टरमे काम करेबाला लोग �अब शुरु भयो रमाइलो समाचार� कहके लोग टिरकारी मारे माकिर महिना दिन नबितते रेडियो भितर आ बाहरसे प्रशंसा भेल, से बात हम गवेसे कलेला चाहरहल छी । सबसे बडका खुशीके बात हमरा ई बातपर लागले ।

अपने जब रेडियोमे बज्जिकाके प्रवेश करइली त अपनेके आगे कइसन समस्या सऽ आएल रहे ?

रेडियोमे बज्जिका संचालक समितिके अध्यक्ष रेवन्त झा आ उपाध्यक्ष उत्पल मिश्र प्रवेश कराबेके तय करलेले रहथ ।

हमर भूमिका समाचार लिखेके सम्पादन करेके आ संयोजन करेके रुपमे रहे ।

समस्या बहुतो आएल लेकिन सबसे बडका समस्या देखी जे २�३ आदमी समाचार प्रस्तोता लोग रहे ओकरा अलावा दोसर व्यक्ति चाहकरके अपन मातृभाषामे भी समाचार वाचन करे नसके । कुछ आउर व्यवहारिक समस्या समयसमयपर आबइत रहे जेकरा हम स्वाभाविक रुपसे ली ।

समस्याके समाधान करेके लेल अपने कइसन उपाय अपनएले रही ?

कहल जालई जहाँ चाह उहाँ राह । उपाय सब हो अपनाएल गेल जेही कमे लोग रहे ओहीमे पलहा लगाके वाचन कराएल गेल । अब त बहुतो लोग बज्जिकामे समाचार वाचन करेबाला होगेल अवस्थामे यी बात पतिआनाइ भी भिराह हय ।

बज्जिका भाषा रेडियो एफएमजइसन अखबारमे काहे ओतना स्थान जमाबे नसकरहल हए ?

यी अपनेके प्रश्न बहुत महत्त्वपूर्ण हय । बज्जिका भाषामे रेडियोमे समाचार देल जारहल हय माकिर पत्रपत्रिका काहे न निकल रहल हय । एकर सबसे बडका कारण हय अशिक्षा ।

जेनाकि रेडियो पढल�नपढल सब सुनी आ पत्रिका त पढलके पढी । एलेल बज्जिका भाषामे पत्रिका भेलापर पाठक कम हय ।

अपनेके मालुल हय रौतहट जिला साक्षरतामे देशमे सबसे निचा पचहतरवाँ स्थानपर हय । अउरी किसिमके समस्या सब भी हय । नेपाली भाषामे जौन पत्रिका निकल रहल हय । बहुतो लेखक स्तम्भकार, समाचारदाता लोग हय । जौनोसे समाचार लेकरके लोग पत्रिकाके पेज भरसकइत हय, माकिर बज्जिकामे लिखेबाला बहुत कम लोग हए । एइसन अवस्था रहलापर भी अगर समन्वय सहकार्य होए त बाजिका भाषामे पत्रिका निकालल भी कौनो लमहर बात नहए ।

गैरबज्जिकाभाषी बज्जिका भाषापर बहुत आकर्षित होररहल हए मगर बज्जिकाभाषी ही कुछ हदतक उदासीन होएके कारण की हए ?

एकर बहुतो कारण हय । लगके मेला जे लेखा हल्ला बुझाले ठिक ओइसही हमरा यी बात लागरहल हय । अपन भाषा, अपन भेष, लोग भुलारहल हय । दोसर सब उठारहल हए । बज्जिका हमर मातृभाषा हए । ई भी कहेमे लोग हिचकिचाएके अवस्था हम देखले छी । उदासिन होएके आउर कारण सब हए, अवसर न भेलाके चलते भी बज्जिका भाषी बज्जिकाप्रति उदासिन हए ।

अभी करिब आधा दर्जन एफएमसे बज्जिकामे स्थानीय समाचार देबले, पहिल सम्पादकके हैसियतसे अपनेके अभी केना महसुस होइअ ?

बहुत खुशीके बात हय । जौन, समाचारके सन्चा हमनीके बनइली ओसे भी अभी कौनो अलग नहए । अपन मातृभाषामे समाचार प्रसारण होरहल ई बातसे जेतना खुशी छी कि बज्जिका भाषामे समाचारके आलावा अउरी चेतनामूलक कार्यक्रम सब प्रसारण होइत त बहुत खुशी होइती ।

स्थानीय एफएम सबमे बज्जिकामे ही बहुत कार्यक्रम उत्पादन आ प्रसारण होरहल हए, कुछो सुझाव देबे चाहम ?

बज्जिका भाषामे चेतनामूलक कार्यक्रम प्रशारण होए, से हमर सुझाव हए ।

बज्जिका भाषामे तुलनात्मक रुपमे लेखक�कविके कमी हई, स्थानीय पत्रिका आ एफएमसे कइसन सहयोग होसकले लेखक�कविके उत्पादनमे ?

बज्जिका भाषाके लेखक आ कवि लोगके भी बहुत सहुलियत होरहल हय रेडियो आ पत्रिकासे । अभीके हमनीके अवस्था की हएकि जे लोग जौना भाषामे लिखके देबले चाहे रेडियोमे प्रसारण करले हमनी ओही भाषामे देइले । लेखिन हमनीके चाहना रहले कि अपना भाषामे देइत त ठिक रलख । अपना भाषाके प्रोत्साहन भी नियमित रुपसे करते आरहल छी ।

अपने अपना मिडियामे बज्जिकाके केतना स्थान देइछी ?

हमनीके संचार माध्यममे बज्जिकाके स्थान शेरेमोनियल हए । जिल्ला प्रशासन कार्यालयमे पत्रिका दर्ता करवइत बेर बहुभाषा कहके दर्ता कराएल गेल हए । क्रान्तिद्वार दैनिक पत्रिका नियमित रुपसे प्रकाशन होएके एक वर्ष पूरा होए लागल हए । भाषिक हिसाबसे बहुभाषा कहके दर्ता भेलापर भी नेपाली भाषामे ही प्रकाशन होरहल हय । बज्जिका वा अन्य भाषामे पवनिए तिहारके कौनो समाचार रखा गेल होई । एकर बहुत कारण सब हय । जौनामे सबसे बडका कारण लिखाइ हए ।

रेडियोके समाचार सम्पादन आ पत्रिकाके समाचार सम्पादनमे केतना फरक हए ?

सम्पादन करेके काम रेडियो आ पत्रिकामे एतने फरक हय कि कौनो बात मौखिक आ लिखित हए ।

एकर अन्यथा अर्थ नलागेकि रेडियोके सम्पादकके सब बात हावामे चल जाले । अब प्राविधिक रुपसे एतना विकास भेल हए कि पलपलके प्रशारण रेकर्ड होइत रहले ।

पत्रिका जेतना दोहरा�तेहराके लोग लाइन, हरफ, अनुच्छेद देखले ओतना रेडियोके रेकर्डिगं सुनल सबके पहुँचके बात नहए ।

बज्जिका पत्रकारिता सम्भव होसकले कि न ?

बज्जिका पत्रकारिता सम्भव भेलाके नातासे अपने आई हमरा ई बात रखेके अवसर देली ह । एइसही अवसर देवेबाला संचार संस्थाके अउरी खोजी कएल जरुरी हय । हमरा विचारमे त रौतहटमे बज्जिका पत्रकारिता स्थापित होेएलागल हय । सब रेडियो बज्जिकामे समाचार प्रसारण कररहल हए ।

समाचार लिखेबालाके पारिश्रमिक मिलरहल हए कि नमिल रहल हय, ई सबसे बडका प्रश्न हए । जौना दिन श्रमजीवी पत्रकार अपन श्रमके पारिश्रमिक पावेके अवस्थामे पहुँच जाई बुझल जाओ, ओ दिन बज्जिका पत्रकारिता स्थापित हो गेल ।

बज्जिकाके साहित्य, पत्रकारिता आ चेतनासे अपने सन्तुष्ट छी ?

बज्जिका भाषाके राज्य अन्य भाषा सरह स्थान जे देले बुहत प्रशंसनीय बात हए । एकर विकास आ अउरी प्रचारप्रसार करेके लेल राज्य अपन भाषाके बजेट देइतसे हमर माग हए ।

अपन देशमे शिक्षा क्षेत्रमे जओन तरहसे विकास होरहल हए । बज्जिका भाषामे पुस्तक प्रकाशन करेबाला, लेखक, साहित्यकार, समाचार सम्प्रेशन करेबाला संचार माध्यम आ पत्रकार सबके पुरस्कारके व्यवस्था होइत त भाषाके प्रति ई क्षेत्रके लगाव बढइत ।

अपनेके ई संचार माधयमसे हम आग्रह करम बज्जिका क्षेत्रके तमाम आदरणीय जनसमुदायसे कि अपन भाषाके विकास कैसे हो एप्रति सब लोग आवाज उठाएल जाओ ।

अन्तमे आउरो कुछो कहे चाहम ?

अन्तमे ई अवसर देली ओकरा लेल बहुत बहुत धन्यवाद आ आभारी छी ।

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